રવિવાર, 26 એપ્રિલ, 2015

सुर्यवंश

सुर्यवंश !

परम तत्त्व, अविनाशी, अकाल, अमूर्त, सर्वशक्ति मान.परमेश्वर श्री हरि, नारायण के हृदय जिसमे प्राण का भी निवास स्थान है वहा से एक तेज़ जिसे उपनिषदों में प्राण कहा गया है , का स्फुरण हुआ इस शक्ति पुंज में लगातार उर्जा के पुंज टकराते रहते है इसे ही विवस्वान या सूर्य नारायण कहा जाता है | यही संपूर्ण क्षात्र तेज़ का प्रथम जनक है | इसी में से बहुत बाद में जब धरा और अन्य गृह अलग अलग होकर अनेको वर्षो बाद शीतल हुए तो उनमे भी जल-वायु का संचार हुआ था | चन्द्र देव काफी बाद में शीतल हुए थे उससे पूर्व केवल सूर्य नारायण के नाम से ही सूर्य वंश कहलाता था | अब इसी वंश का वंश वृक्ष पहले पेश किया जरह है :----
1.नारायण ( परमब्रह्म श्री हरि )
2.विवस्वान आदित्य ( सूर्य नारायण ) दो पत्निय संध्या और छाया
3. मनु (सत्यवृत्त) संध्या या संज्ञा से पैदा हुए थे |
4. इक्ष्वाकु ( महाराज मनु के १० पुत्रो में सबसे बड़े ) महाराज इक्ष्वाकु के १०० पुत्र थे उनमे जयेष्ट ३ थे:-
5. विकुक्षि, निमी, और दंडक उनमें से ज्येष्ठ तीन थे |
6. पुरंजय महाराज विकुक्षि के जयेष्ट पुत्र थे | वे काकुत्स्थ and इन्द्रवः के रुप में भी प्रसिद्द थे |.
7. अनन्या -
8. पृथु (जिनके नाम से यह भूलोक पृथ्वी कहलाई ) -
9. विशत्रभ्वा -
10. चन्द्रयुवनाश्व -I
11. शावस्ता -
12. वृहदाश्व 
13. कुवलयअश्व -
14. दृढाश्वा
15.प्रमोद
16.हर्याश्व I
17.निकुम्भ
18.संताश्व
19.कृशास्व
20.प्रसेनजित I
21 .युवनाश्व -- . (युवनाश्व के कोई पुत्र नहीं हुआ, तब उन्होंने एक यज्ञ किया किन्तु वे मंत्रित कलश के जल को रात्रि में पी गए तो महाराज यवान्श्व के पीठ फोड़कर महाराज मान्धाता जो की सतयुग के सबसे प्रतापी राजा मने जाते है पैदा हुए थे. )
22 .मान्धाता ( उन्होंने बिंदुमति जो की राजा सताबिंदु की पुत्री थी से शादी की थी )
23 .अम्बरीश, ( महाराज मान्धाता के ३ पुत्र में सबसे बड़े थे ) यह ज्ञात इतिहास के पहले चक्रवृति सम्राट थे, जिनके राज्य में सूर्यास्त नहीं होता था | वर्तमान अम्रीका पूर्व में इन्ही के नाम से अमरिषा कहलाती थी )
24.पुरुकुत्स
25.त्रासदास्यु ( महाराज पुरुकुत्स और नर्मदा बेटा ) त्रासदास्यु के वंश जारी
26 .संभूत
27.अनारान्य -
28 .त्रहदाश्व -
29 .हरयाश्व -II ( हस्त )
30 .वसुमन-
31 .त्रिधन्वा -
32 .त्रययिअरुण 
33 .सत्यव्रत-त्रिशंकु ( महाराज सत्यव्रत ने सशशीर स्वर्ग जाने के लिए महर्षि विश्वामित्र जी ने भेज दिया था किन्तु बाद में दुसरे स्वर्ग में उन्हें भेजा गया जिससे वे त्रिशंकु के रूप में प्रसिद्द हुए थे )
34 .सत्यवादी महाराज हरिश्चंद्र -
35 .रोहिताश्व
36 .हरित-
37 .चनाचू-
38.विजय-और वसुदेव-
39.रूरक -
40. विरक-
41. बाहू--
42. सागर या सगर (जिनकी ६०००० प्रजा ( प्रजा भी पुत्र ही होती है ) कपिल मुनि ने भस्म कर दी थी )
43. असमंजस-
44. अंशुमान-
45.दिलीप-I
46.भागीरथ- जो श्री गंगाजी को पृथ्वी पर लाये |
47. श्रुत-
48. नाभ-
49.अम्बरीश
50.सिन्धुद्वीप-
51.अयुतायु --
52.श्रुतुपर्ण
53.सर्वकाम I
54.सुदास
55.सुदास 
56. मित्रसाह
57.अश्मक--
58.सर्वकाम II--58.दशरथ--( श्री राम के पिता नहीं )
59. ऐदैवादी-
60. बलिक ---
61.अनानारान्य III
62.निघ्न
63.रघु I
64.दुलीदूह
65.खात्वांग, महाराज दिलीप कहा गया |
66.दीर्घबाहु जिन्हें महाराज रघु-कहा गया |
67. अज -
68. महारज दशरथ-
69.श्री राम ,भरत,शत्रुघ्न एवं लक्ष्मण जी .
70. कुश और लव-------( श्री राम और माता सीता के २ पुत्र जुड़वां थे जिनमे कुश बड़े और लव छोटे थे | श्री राम ने कौसल साम्राज्य को दो हिस्सों में बाँट दिया कुश को उत्तरी कौसल जिसकी राजधानी अयोध्या थी और लव को दक्षिणी कौसल दिया गया | कुश का विवाह नागवंश के प्रसिद्द राजा कुमुद की बहिन राजकुमारी कुमुद्दति से हुआ और उनके आगे सूर्य वंश की मूल शाखा अयोध्या में राज्य करती रही )
71.अतिथि
72. निषाध
73. नल----प्रथम(महारानी दमयंती के पति)
74..नाभ---
75. पुंडरिक--
76. क्षेमान्धवा---
77. देवानीक----
78. अहिनागु,,
79. रूप एंड रूरू
80. परिपत्र--
81. देवल--
82. बल--
83. रक्त्धन
84. वज्रनाभ
85. शंख--
86. विश्वशः -- द्वितीय
87. हिरान्यनाभ---
88. पुष्य--
89. ध्रुवसन्धि--
90. सुदर्शन--
91. अग्निवर्ण--
92. शिघरगा-
93. मरू--
94. प्रसुत--
95. सुसन्धि--i
96. अमरषा-
97.विश्रुत्वान--
98.विश्रव बाहु --
99. प्रसेनजित I-प्रथम
100.तक्षक--

101.ब्रिहद्बल- ( महाभारत युद्ध में महारथी अभिमन्यु के हाथो वीरगति को प्राप्त हुआ था )
102.ब्रहात्क्षत्र--
103.अरुक्षय---
104. वात्सव्युहा---
105.प्रतिव्योम--
106. दिवाकर---
107. सहदेव---
108.वृहदाश्व --
109.भानुरथ--
110.प्रतीतश्व--
111.सुप्रातिका--
112.मरूदेव---
113.सुनक्षत्र--
114.अंतरिक्ष --
115.सुशेन---
116.अनिभाजित-
117.वृहदभानु--
118.धर्मी---
119.क्रितंजय--
120.रणंजय---
121.संजय--प्रथम
122. सत्य --
123.राहुल--
124.प्रसेनजित---II
125.क्षुद्रक----
126.कुलक--
127.सुरथ--
128.सुमित्र - ( वह सूर्य-वंश के अयोध्या में आखिरी महाराज थे | उन्हें ईशा पूर्व चौथी शताब्दी में शूद्र नन्द वंश के सम्राट महापद्म नन्द ने अयोध्या से हटने के लिए बाध्य कर दिया था | इसके बाद वे अपने पुत्र कुर्म सहित रोहतास ( बिहार ) में चले गए राजकुमार कुर्म ने वहां फिर सम्राज्य कायम किया ) जाकर

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